मंज़िल से पहले पड़ाव ना माँग
कितने भी छाले पड़े पैरों में
मगर सफर में ठहराव ना माँग
ज़मी को कदमों से कुचल दे
मंज़िल से पहले पड़ाव ना माँग
तैर कर ही दरिया पर कर
डूब जाएगा, नांव ना माँग
चाहता हो चमकना अगर सूरज की तरह
पसीना धूप में सुखा, छाँव ना माँग
कि मेहनत कभी नाकाम होती ही नहीं 'ताबिश'
शर्त है कि कामयाबी से पहले आराम ना माँग
Miss Lipsa
02-Sep-2021 09:09 PM
वाह वाह बोहोत सुंदर लिखा है आपने
Reply
Pen of Tabish
02-Sep-2021 10:38 PM
Bahut bahut shukriya aapka Lipsa Jee 🙏
Reply
Anju Dixit
02-Sep-2021 08:50 PM
वाह वाह
Reply
Pen of Tabish
02-Sep-2021 10:38 PM
Bahut shukriya Anju Jee 🙏
Reply
Rayeesha ❣️
02-Sep-2021 08:10 PM
Wahh
Reply
Pen of Tabish
02-Sep-2021 10:38 PM
Bahut Shukriya Rayeesha Jee 🙏
Reply