Pen of Tabish

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मंज़िल से पहले पड़ाव ना माँग

कितने भी छाले पड़े पैरों में
मगर सफर में ठहराव ना माँग

ज़मी को कदमों से कुचल दे
मंज़िल से पहले पड़ाव ना माँग

तैर कर ही दरिया पर कर 
डूब जाएगा, नांव ना माँग

चाहता हो चमकना अगर सूरज की तरह
पसीना धूप में सुखा, छाँव ना माँग

कि मेहनत कभी नाकाम होती ही नहीं 'ताबिश' 
शर्त है कि कामयाबी से पहले आराम ना माँग

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14 Comments

Miss Lipsa

02-Sep-2021 09:09 PM

वाह वाह बोहोत सुंदर लिखा है आपने

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Pen of Tabish

02-Sep-2021 10:38 PM

Bahut bahut shukriya aapka Lipsa Jee 🙏

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Anju Dixit

02-Sep-2021 08:50 PM

वाह वाह

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Pen of Tabish

02-Sep-2021 10:38 PM

Bahut shukriya Anju Jee 🙏

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Rayeesha ❣️

02-Sep-2021 08:10 PM

Wahh

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Pen of Tabish

02-Sep-2021 10:38 PM

Bahut Shukriya Rayeesha Jee 🙏

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